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تقلیف میں تیری رات گجری ہے
اردو :زبان
شاعری : قسمزبان
روح میں اترنا چاہتا ہے
मोहब्बत तू है
भाषा : हिन्दी
भाषा - कोटि - : शायरी
ख़ामोशी लिए बैठा बाग़वान है
गणतंत्र दिवस
क्या से क्या हो गया हूँ
चिठ्ठी हूँ
खुदा जाने कि वो क्या थी
मामले को बैठ कर सुलझाया भी तो जा सकता था
शिवरात्रि
कोई नहीं पास मेरे जो नहीं हो तुम
ज़रा भी नहीं वफ़ादार है
सफ़रनामा
भाषा - कोटि - : कविता
कैसी अजब ज़िन्दगी की पहली है
मकर संक्रांति का त्यौहार
समर्पण
हाँ ये तेरी मोहब्बत है
تیری خوبصورتی بڑانے والا پتہ ہوں
मेरी डायरी
उसकी यादों में हम कौसो तलक नहीं
इतनी मोहोब्बत पा कर पिघलता भी नहीं
फैसला आज ये भी तुम सरेआम होने दो
तुमसे सींखेंगे
वो यादें बहुत याद आती है।
इससे बड़ी ख़ता क्या होगी?
कितना हसीं मेरे कल्पना का शहर है
मुस्कान बन जाओ
ایک اور سالے نو آیا ہے
मैंने बाप होने का भला कौन सा फ़र्ज़ निभाया है?
फ़र्ज़ निभाना भी जरूरी था
انکے شہر میں نہ سحر ہوئی
क्या है?
दिल-ए-नादान
चला गया
मानव देही
हृदय के तार जुड़े हैं तोहसे
बच्चे माँ बाप को वृद्धाश्रम छोड़ जाते हैं
अब तलक उसका आया कोई पैग़ाम नहीं
बता तेरे बारे में क्या लिखूं
ऐ स्त्री तेरी कहानी
भाषा - कोटि - : लेखमंथ प्रतियोगिता 10 से 25 दिसम्बर
लक्ष्य मिलेगा आज नहीं तो कल
तुम हाथ नहीं थामोगी तो किधर जाऊंगा
बाप बेटे का रिश्ता
कितना अनोखा संसार है
जब भी तू मेरे करीब आती है
संविधान दिवस
पर्यावरण को ना कष्ट पहुँचाओ
जीवन की सीख
चाहत की
तू आगे बढ़ता जा बढ़ता जा ओ पथिक
आजा मिलने मौसम सुहाना है
مسکرا کر ملنا پڑتا ہے
मामला रफा दफा कर
वो चांदनी रातें
वो तो ना जाने कबसे हमें भुलाये बैठे है
गुजरी हुई वो यादें फिर लौट आई
तुलसी विवाह कथा
खुदा और मोहोब्बत
तेरे कैशों की शीतलता
सात फेरों में दिया वचन निभाना होगा
खूबसूरत है ज़िंदगी
मैं सर झुकाता कैसे?
आहिस्ता आहिस्ता
मोह माया है
दीवानी
प्रेम ही मेरी साधना
ज़िन्दगी
कर्म कर बंदे
अपनी नज़रें झुका बैठे
तू हमराही है तो सफ़र आसान है
मोहे श्रृंगार ना भाये
मैं सुहागन पूरी हो गई
समय ने समय नहीं दिया
तू साथ है तो ज़िंदा हूँ मैं
त्याग है
शादी के बाद
ढंग मुहब्बत के
مجھسے کنارہ کرنے لگا ہے
نظم : قسمزبان
आँखों का पानी हूँ मैं
कीमत रोटी की
तेरा हाथ ना छूटे
प्रेम का अस्तित्व
टूट कर बिखर रहा हूँ मैं
जब तुम मायके चली जाओगी
ہونے دو
चाहती हूँ
तुमसे जुड़े हैं
خیال رکھنا
स्त्री की महत्ता
हमसे कुछ कहाँ नहीं जाएगा
शिक्षक की महत्ता
प्रेम यानी (प्रेम मतलब)
رنگ محبّت کے
मुहब्बत के
الفتنامہ
साजन अब तक ना आये
انتظار ہے
मुस्कान बन जाओं
उम्मीद छोड़ूँ कैसे?
क्यों है?
आज़ादी
سزا
ख़ामोशी
آنکھیں
काश! मेरी भी एक बहन होती
कल की आवाज़ हूँ
तिरंगा और राजनीति
अच्छा था
لفظ ناراض ہے
दोस्त भी किस्म किस्म का होता है
आगे बढ़ जाना तुम
अपना बेटा पराया होता है
تو کیا ہوا آج دل ٹوٹا ہے
उस चाँद को गुरूर हो गया है
ਉਹ ਗੱਲ ਤੂੰ ਤਾਂ ਮੈਂ ਕਹਿਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਾਂ
तुझे नज़्म में उतार दूँ
पतझड़
اختیار
पैसे और रिश्ते
मुसाफ़िर
غربت
तेरे लिए
وشواش
क़िताब
कशमकश
मुआफ़ी-नामा
آرزو
तुम
इस संसार में भाँति भाँति के लोग
क्यों था?
कलम
बेपरवाही
اسکے یہاں کوئی صدا جاتی نہیں
वतन-ए-हिन्द
तुही मेरा हमसफ़र
ख़्वाइशों को पूरा कौन कर पाया है
یہ کیسے حالات میرے مولا
گلوں کا قتل کر آے
लिखना है
तेरे आँगन में
पुरानी बातें
چھوڈتے چلے گئے
दोस्ती
इतना आसाँ नहीं है शायर कहलाना
مالک
हम उन्हें समझा रहे है, वो हमें समझा रहे है
मंज़िल
प्रिये दोस्तों!
भाषा - कोटि - : कहानी
लिख रहा हूँ
कर बैठे
तन्हाई
माँ
निखर जाते
خسارہ
स्त्री
भाषा - कोटि - : सामाजिक
जैसा
होली के रंग में और सब को रंगाओ
मैं तुझे अपने हाथों से सजाऊँ।
نور
देश साजन के भेजया जा रहा है मुझे
कुछ ऐसी हमारी मुलाकात होगी
जब मैंने अपना घर छोड़ा था
ये सारे रिश्ते बदलते क्यों है?
भाषा - कोटि - : लेखमंथ प्रतियोगिता 20 से 30 जून
रोकूँ तुम्हें तो रुक जाया करो
لگا ہے
पिता
باغ
कला
تو
غزل : قسمزبان
सुनो! तुम कुछ पल ओर रुक जाया करो
महक तेरे जिस्म की मेरे जिस्म से आ रही है
دور دور رہتے ہو⸮
मेरी आपबीती है
रक्त दान
خدا اور محبّت
वो मेरी एकतरफ़ा मोहोब्बत है
मैं तो चिड़िया हूँ तेरे घर की बाबुल
अपने हाथ से मैंने अपनी दुल्हन सजाई है
देखो
गंगा
رات اور یہ تنہائی
ख़त (बेटी की व्यथा)
मधुशाला की पाठशाला
امید
क्या करूँ
हमारा पर्यावरण
अंतिम यात्रा (शवयात्रा)
रौनक लाई हो।
میرا یار ملا دے
हमारे दरमियाँ तुम एक पर्दा रहने दो
कुछ सवाल खुदसे ही
जनता
کس کس سے محبّت کرتا
عزت بخشی جا رہی ہے
दूर चला जाऊँगा
नौकरी
انتظار
मैं तेरी साँस हूँ
प्रदूषण
دعا مانگوں
कभी मिलने मुझसे मेरे घर तो आयो सही
خدا سے محبّت
کہانی : قسمزبان
फसल
बस यही दो पल की ज़िन्दगानी है
तुझे अंतरिक्ष में कहीं दूर ले जाऊँ
کس کے نصیب میں وہ چاند لکھا ہے
सौलाह श्रृंगार
مثال
उन्हें दावत पर बुलाया है
जैसी भी हो यारों ज़िंदगी मेरी है
میرے قریب آ کے
میرا سجنا کس کام کا
सम्पर्क
یاد
छोटी सी गुड़िया (बेटी)
باکی نشانی رہنے دے
दो कश्ती के मुसाफ़िर
شام ادھوری لگتی ہے
बोलों ना पापा
चादर
ساتھ چھوڈ جاتیں ہیں
तुम हो
کیسے تیرا بھرم رکھ لوں
तुम जो कुछ पल और ठहर जाते
वजह
علم الفت (اردو -پنجابی )
فاصلہ رکھا
बलात्कार
आज भी याद है मुझे
برھائی ہو جائے گی
मर्यादा
दहेज़
जुदाई
ربط
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