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ममतामई मां..!
भाषा : हिन्दी
भाषा - कोटि - : कविता
कविता लिख जाती है....!
धुंधलाता दर्पण..!
मां शारदे वंदना
कविता द्रोपदी है...
किरणों को छोड़ा धरा
विषय:-- स्वैच्छिक (व्यंग कविता)
कयामत
रिश्ता
मन को समझाने में...!
एक देशी पत्रकार की
भाषा - कोटि - : नॉन स्टॉप 2022
आलिंगन
दहेज
प्यार कोई तिजारत नहीं है!
संयम
हजल --
मोहब्बत
मैं खुद अपनी कविता
गणतंत्र दिवस मनाएं
नदियां
ताल- तलैया रीते.!
मनुष्यता..!
वफादार
कहिन --
जिन्दगी की पहेली
मन पतंग बेचैन है, उड़ने को मजबूर!
मकर संक्रांति
समर्पण
विश्व हिन्दी दिवस
फैसला
तबियत नाशाद!
वो यादें
कल्पना
नववर्ष की शुरूआत
लेखनी का स्वागत!
नव वर्ष मंगलमय हो..!
फर्ज
फतह कर लिया
नादान
मांग रहें ऑंसू हिसाब
दगा
एक किसान के बेटे ने
एक ही जन्म काफी है..!
औरत का जीवन -एक कसौटी
भाषा - कोटि - : लेखमंथ प्रतियोगिता 10 से 25 दिसम्बर
पथ
पैगाम
तुम बिन रहा न जाये
लक्ष्य
नफ़रत
नफरत को यूं मिटा दीजिए
महफ़िल
मन का भंवरा
गगन
बड़ी बहादुर चींटी रानी
प्रेयसी
टूटे ना प्यार का सिलसिला
सफलता
हमसे शिकवा शिकायत करना
ममता
मैं अपने कद से ऊंचा जा रहा हूॅं
जीवनसाथी
चढ़ती चीजों के भाव
हम खेलते हैं
मिलाप करने तुमसे मैं आऊं कैसे?
पथिक
गीत तुम्हारे
कलम का जादू
प्रिया तुम्हारा साथ मिले तो
तुम बिन चैन ना आता है
बाल दिवस
भाषा - कोटि - : लेख
सहयात्री
इश्क
मदमाते यौवन
ये कैसी तन्हाई है
शीतलता
मुरली को बजाने वाले
खूबसूरत है जिंदगी
दहलीज
छठ पूजा
सोचा था
मिट्टी
अंबर
भाई -दौज
दीपावली
चलते हुए
दीपक से दीप जला
मोह
एक दीया दहलीज पर
साधना
ये मत समझो
कर्म
आखिरकार
हमराही
किसके लिए जीना है
सुहागन
समय
त्याग
आसमान से तारा टूटा
रास्ते
कौन कहता
व्रत उपवास
राम लीला
कंजक कन्या
कालरात्रि
निरंतरता
वह पैदाइशी कलाकार है
फरिश्ता
लोग कहते है
ठेलेवाला
दोस्ती
भक्ति भावना
अम्बर
रोटी की कीमत
प्रेम का अस्तित्व
मतलब
हरे भरे है पेड़
रेल चले
दीप जलाएं
करवट
समय की मांग
बरसाती बूंदी
वायुसेना दिवस
जलन
दिल ये चाहता है
अंधियारा
ठूँठ
वृक्ष का महत्व
प्रतीक्षा
हम नैतिक पर के राही है
जितने भी जख्म मिलें
साहित्य का प्रभाव
बात कुछ इस तरह बयां करना
वह अश्कों को गिरा देता है
पितरों को नमन
ख़ामोशी
बात दिल की बताना चाहिए
समय जागाने आया
पिता का समर्पण
कंठ से कंठ मिलाकर
निर्मोही तुम क्या जानो
तुम गीत भी हो
शहर में इतनी कड़वाहट है
ख़बरें नहीं सुनी
जुबां खुलती नही मेरी
हमारे देश में
मानव धर्म
हिंदी वन्दना
रूक नहीं जाना कहीं हार के
स्त्री की आकांक्षा
मैं, एक बदनसीब
समय का परिवर्तन कहे
शिक्षक
अरमानो से भरा
सूरत बला है
अपनापन
रूक नहीं जाना कही हार के
चलों, फिर प्यार कर लें
मानवता
जन जन की भाषा हिंदी
बलिदान
सुख
खेल
सवालों की भीड़ में
सिलसिला
अब की जल्दी आना प्रिये
अस्तित्व
मक्कारी की हद हो गई
लालसा
मुरली
मकसद
लेखनी प्रतियोगिता -21-Aug-2022
कौन कहता है
अपनो ने घर को लूटा
भारत का लाल
जन्माष्टमी
कैसे सहन करूं... कब तक सहन करूं
उम्मीद
रुके नही
आओ चलो
आजादी
खेल घिनौना
खामोशी
जाना है जाओ
रक्षा बंधन
मुझ को छोड़ दिया
दिशा
जीवन
आतंक
नायक
तस्वीरे पुरानी
गुमनाम
मर्तबा
मित्रता
आत्मविवेचन
चाँद
खुली आँख
पतझड़
प्यार तुम्हारा!
मुसाफिर
सावन
किताब
गधे परेशान है
नाराज
चिड़िया
संसार
धरती
वास्ता
कलम
मुनिया बोली
कितना दर्द पिया था हमने
ख्वाहिश
दास कबीरा
आँगन
आदमी उदास है
कसम
कैसा घुंघ
मंज़िल
एक दिन ऐसा
अपना वतन
तन्हाई
मन कहता है
रिश्तों की बदलती तस्वीर
भाषा - कोटि - : कहानी
किस्मत
मित्र
सहारा
रंग
आरक्षण आयोग
बदली
मिथ्यावादी
नदी
बेकरारी
मानव
हम शिक्षक
योग
मनोरंजन
कविता लिख जाती है
एक नदी थी
याद आता है
कला
मैं एक बदनसीब
महक
रक्तदान
आतंकवादी
कालिया
दुल्हन
बहुत उदास है दिल
गंगा
प्यारा गीत
पाठशाला
औकात
पर्यावरण
रौनक
हद है
ज़िन्दगी
भाषा - कोटि - : शायरी
परमेश्वर
दूर कहीं
शिलान्यास
विचार
बेवफा
पाप नगरी
ग्वालियर
मुकाम
देबू
जनता
भोर की किरण
नौकरी
बुलबुल
प्रदूषण
चिकोटी
फूल खिलाने के लिए आए है
फसल
खिलौना
अन्तरिक्ष
लघु कविताएं
दावत
फूल
सम्पर्क
आफ़त
कश्ती
सफ़र
चादर
ख़्याल
गर्मी के दोहे
हमदम
वजह
क्या फायदा
गरीबो की सुनो
उलझाया है मुझे
डूब गया संगीत
अनुदान दिया है
उदास एक शाम
मर्यादा
पेड़
माँ
आरंभ
चंचल
पा लिया
प्रभात
"व्याख्या"
मिल गए
नीद
विमान का अपरहण
मुक्ति विषय
गाँव
कवि सम्मेलन में
आवारा
कली
अपनी सत्ता आई रे
मासूम
ढूँढ़ रहे हो ज्ञान
बहाना
आदमी
मुक्तता
बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर
भाषा - कोटि - : डायरी
मुलाकात
आसमान
कागज
आँसू
सपना
ऐसे भी क्या मिले
गर्मी
मजमा
तपन
आर्यभट्ट
जीवन्त प्रश्न
जाना पहचाना
सावधान
डिगा नहीं पाती
सब कुछ
वरदान दो
माता तेरे द्वार पर
कातिल
दुनिया
दुनियादारी
उपहार
आतुर हो
हवा
पिया
संदेश
ज़िन्दगी की जान
वादा
दर्पण
भूल
आवाज़
पर्दा
दीवाना से प्यार
मकान
कैसे कहुँ
जंगल
कविता दिवस
नाव
गांधी जी
शिकारी
कविता
उलझ गए लोग
बाबुल
मुक्त टॉपिक
चाँदनी
अंजाम
कभी तो आया करो
विदाई
नेता जी
आरजू
रेखाएँ
मैं कवि हूँ
झरोखा
कदम
सवाल
बादल
बिंदिया
सुन्दर
खाली मकान
सिपाही
जमीन
तस्वीर
फितूर
औरत
मन को समझने में
वेलेंटाइन डे
गुड़िया
चॉकलेट
सहारा मिला
प्रस्ताव
भाव सुमन झरने दो ..!
मुक्त विषय
अकाल
हमदर्द
प्रगति
गीत
चिंतन
गणतंत्र दिवस
विनती
हसरतें
ठंडी हवाएं
मेरा देश
लेखनी प्रतियोगिता -21-Jan-2022 शासन
लेखनी प्रतियोगिता -20-Jan-2022 रंगीला ख़्वाब
सुहाना सफर
बीवी
आधी रात को
अतिथि
आशिक़ी
खत
नसीब
जुदाई
गुमान
चतुष्पदी
बहादुर
खुशी
क्रिसमस
लेखनी प्रतियोगिता -22-Dec-2021मुक्त विषय
लेखनी कहानी -21-Dec-2021 शिखर
लेखनी प्रतियोगिता -21-Dec-2021 शिखर
लेखनी प्रतियोगिता -20-Dec-2021 मुक्त विषय
लेखनी प्रतियोगिता -18-Dec-2021 हक़ीक़त
लेखनी प्रतियोगिता -17-Dec-2021 मुक्त विषय
लेखनी प्रतियोगिता -16-Dec-2021 अफसाना
लेखनी प्रतियोगिता -15-Dec-2021 मुक्त विषय
लेखनी प्रतियोगिता -14-Dec-2021. आदर्श
लेखनी प्रतियोगिता -13-Dec-2021मुक्त विषय
लेखनी कहानी -12-Dec-2021वादा
शिकायतें
लेखनी कहानी -08-Dec-2021 मुक्त विषय
लेखनी प्रतियोगिता -07-Dec-2021सुबह
मक्कारी
सोना
ज़मीन
भलाई
भावना
सुबह आया
मेरे घर के
आ जाओ
शिक्षा
निराली बात
विकास
धोखा
अंदाज
राही
किनारा
भावना की रेल
आँखों
व्याख्या
गवालियर
वादियां लेखनी प्रतियोगिता -15-Nov-2021
मम्मी
कन्यादान
आईना
अमानत
सिफ़ारिश
सतरंगी सपने
ढलती हुई शाम
दीप जलाओ
हैप्पी दीवाली
पहली किरण
रंग भरा त्योहार
नन्ही उम्मीद
आत्मा
बंधन
इंसाफ
लेखनी
"परिवार"
चिंगारी
बहादुरी
आज दिवाली है
सम्मान
दशरहा
रावण
सर्दीले मौसम में
देखो तमाशा
कटे समय के जाल हमारे
हाड़ लेते हैं
ताना बाना
कन्यापूजन
"आदि शक्ति"
आदिशक्ति
आराधना
नैना तेरे तरसे
भक्ति
माता तेरे द्धार पर
तोहफ़ा
मुहब्बत
अजनबी
बड़ी है नदी
उनकी आनाकानी
हाथ दिया था
पर्दा जलता है
उड़ान
मजबूरियां
बाबुल जल्दी घर आना
शान होती नारी
कमाल के
तकलीफ
कामना
भीड़
जल्दी आना प्रिये
आशा की एक किरण
हिंदी है रसराज
बात नही भूल जाना
रखना आँचल में
चार दिन की
बिन बुलाए मेहमान
कट गई
सच के राम बसा लीजिए
अन्तरघट रीते
सरे आम आया
गीतिका
कारगिल
भोलेनाथ
खुश्बू
मुस्कान
खंडित खंडित मेरा मन
नवांकुर
आहिस्ता आहिस्ता
जिंदा रहो "महफूज रहो "
तकलीफे
मुक्तक
कैसे सहन करू
लागी ऐसी लागी, ना जी...
दोगे ना
अनमोल पल
ओ मोरे सांवरिया
वह कहते हैं