अपने! पराये थे

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जो खुशियों में हमारे संग मुस्कुराये थे, जिन्हें हर  राज़  का  राज़दाँ बनाये थे। हर क़दम पर उनके साथ खड़ा रहा मैं, उनके नाज़-ओ-नख़रे सर पर उठाये थे। वो बस मेरे ...

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