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तेरी चूड़ियां
भाषा : हिन्दी
भाषा - कोटि - : कविता
मिलो अभी (पंचचामर छंद)
कली (पंचचामर छंद)
सहानुभूति (पंचचामर छंद)
ओस की बूंद
स्वर्णमुखी छंद
स्वर्णमुखी
सॉनेट
सरसिज छंद
साहस
सजल
अग्रदूत
रावत तेरा नाम अमर है
साहचर्य (पंचचामर छंद)
संयम (मालती सवैया )
दिल की चाहत
मुहब्बत
कंगना
माँ की महिमा
डमरू घनाक्षरी
जनहरण घनाक्षरी
सरसी छंद
किरीट सवैया
नशा
हरिहरपुरी के दोहे
अर्चनामृतम
डॉ०रामबली मिश्र की कुंडली
मालती सवैया
मदिरा सवैया
चतुष्पदी
डॉ० रामबली मित्र की रोलियाँ
हरिहरपुरी के रोले
कुंडली
दुर्मिल सवैया
मनहरण घननाक्षरी
चौपई
मनहरण घनाक्षरी
तामस काया
प्रेमाधारित चतुष्पदी
आल्हा छंद
सर्वोत्तम शुरुआत
भाषा - कोटि - : नॉन स्टॉप 2022
शक्ति दिव्य साधिका
मां सरस्वती जी की वन्दना
कवि आया है द्वार पर
नदियां (दुर्मिल सवैया)
वाम सवैया
सुमुखी सवैया
मुक्तहरा सवैया
सरस्वती वंदना
सरस्वती घनाक्षरी
सुंदरी सवैया
चौपाई
देव घनाक्षरी
जलहरण घनाक्षरी
आल्हा शैली
अमरत्व की खोज
सरस्वती माँ पर दुर्मिल सवैया
रोली सजल
दोहा सजल
रोली
सोरठरोला
सारा जीवन धन्य तभी है
अभिनव प्रयोग
हिंदी मेरी माँ की भाषा
हिंदी मेरी प्रेमिका (दोह ग़ज़ल)
मैं हिंदी हूँ
साहस (चौपाई)
हरिहरपुरी की कुण्डलिया
प्रतिभा
जिह्वा रानी (दोहे)
प्रेम के मधु बोल
गुरु कृपा (चौपाई)
माँ सरस्वती का वन्दन हो
लकीरें
शिक्षक दिवस
प्रेम छंद
रे सखि
वर्णिक चतुष्पदी
प्यार का जश्न
आधार छंद
हरिहरपुरी के सवैये
प्रेम गंगा
भवसागर
पवित्रता (वर्णिक चौपाई)
डॉ०रामबली मिश्र विरचित वर्णिक छंद
मनसिंधु
खोज उसे
प्रेमदर्शन
गुरुदर्शन
प्रेम
आत्मदर्शन
भावुकता
जीवन दर्शन
डॉ०रामबली मिश्र विरचित वर्णिक चतुष्पदी
ममता
डॉ० रामबली मिश्र विरचित वर्णिक चतुष्पदी
हरिहरपुरी के सोरठे
नमन
प्रीति
पुरुषोत्तम कुण्डलिया
मत्तगयंद-मालती सवैया
मेरा प्यार
शिव रात्रि
प्यार बहुत ही मस्ताना है
वफादार
राष्ट्रमान (पंचचामर छंद)
जिंदगी इक पहेली है
छोटा कौन बड़ा मानव है?
मकर संक्रांति
बिना मिलन के प्यार व्यर्थ है
समर्पण (सानेट.. स्वर्णमुखी छंद)
मेरे कोमल हृदय को, पत्थर से मत मार
मेरी डायरी (दोहे )
विश्व हिंदी दिवस पर कुंडलिया
चाहिये
उल्लाला छंद
मदिरा सवैयामदिरा सवैया
छप्पय छंद
आशा
ले कलम
मेरी पावन शिवकाशी
प्रेम रस
माहिया
साया
कामना
वर्ण पिरामिड
कृष्ण
हरिहरपुरी का छप्पय छंद
गरीबी
सत्य विचार (पंचचामर छंद)
प्यार का रंग (सजल)
योग दिवस
मेरी पावन शिव काशी
दिव्य भाव
प्रणम्य मातृ शारदे
देखो मेरे पूज्य पिता को
मिसिर की कुण्डलिया
तलाश
काशी
गुम न होइये
हरिहरपुरी का सवैया
मिसिर कविराय की कुण्डलिया
फैसला
सुशांत देश (पंचचामर छंद)
पावन इरादा
कुण्डलिया
सच्चिदानंद
बरसो रस
नया घर
राम नाम की हाला पी कर
गलत काम से डरते रहना
कोरोना को हम जीतेंगे (चौपाई)
हरिहरपुरी का दुर्मिल सवैया
मिसिर हरिहरपुरी की कुण्डलिया
खोज लो देवत्व
मोहब्बत
वे यादें (सानेट)
आल्हा शैली मात्रा 16-15
पर्यावरण दिवस पर सवैया
हरिहरपुर के मिसिर की कुण्डलिया
हरिहरपुरी विरचित
पावन संकल्प
हरिहरपुरी कृत सवैया
कल्पना
देवी स्तुति
नव वर्ष की शुरुआत
डॉ०रामबली मिश्र का सवैया
डॉ०रामबली मिश्र कृत सवैया
डॉ० रामबली मिश्र कृत सवैया
डॉ०रामबली मिश्र का दुर्मिल सवैया
हरिहरपुरी कृत दुर्मिल सवैया
नजारा
गुरु शिष्य प्रेम
नीम
क्या यह संभव है
लेखन
चरित्रहीनता
सुंदर शब्दावली
मिसिर महराज की कुण्डलिया
हरिहरपुरी विरचित सवैया
सवैया
मिसिर बाबा की कुण्डलिया
तुम हो सकते कभी न भावुक
यह महा समर है
मिसिर रामबली की कुण्डलिया
मिसिर हरिहरपुरी के दोहे
फर्ज
औरत का जीवन
भाषा - कोटि - : लेखमंथ प्रतियोगिता 10 से 25 दिसम्बर
अर्धांगिनी
माता
जीवन को संग्राम समझना
संकट से छुटकारा होगा
दुःख
वज्रपात का समाधान
उत्साह
नादान
अपावन
शुभ कामना
सन्देश
सत्कर्म
मत पूछो कुछ हाल
प्रभु जी से ही बात कर
सच्चा प्यार
कोरोना!क्या तुम शंकर हो?
जीवन
कोरोना
नमामि शंभु शंकरम
दगा
बढ़ा कदम रुके नहीं
पथ
कुंडलियां
रामबली मिसिर की कुण्डलिया
डॉ०रामबली मिश्र कविराय की कुण्डलिया
मिसिर जी की कुण्डलिया
मिसिर बलिराम की कुण्डलिया
पैगाम
आँखों में है घोर निराशा
रोता मन है
डॉ० रामबली मिश्र कविराय की कुण्डलिया
लगता जैसे पाया सब कुछ
साजन
मिसिर कविराय हरिहरपुरी की कुण्डलिया
डॉ०रामबली मिश्र की कुण्डलिया
मिश्रा कविराय की कुण्डलिया
कहीं नहीं मुझ को जाना है
रूठ न जाना कभी मीत से
सत्य की डगर
लक्ष्य
हिंदी की उपासना
आंसू
डॉ० रामबली मिश्र की कुण्डलिया
मत मारो
लगातार होलिका जलाओ
होलिका
होली-कुण्डलिया
जीवन की होली
उपाधि
प्रलय चालीसा
मनीषा
जल संरक्षण दिवस
विद्वान
विश्व कविता दिवस (चौपाई)
राजा
सद्भावों में गहरापन हो
दरिद्रता
जीवन को आसान बनाओ
मानवता
सौरभ
हरिहरपुरी की चौपाइयाँ
जिसे देख मन खुश हो जाता
नारी! तुम सचमुच आराध्या
संवेदनहीनता
सुख की इच्छा दुःख का कारण
पावन चिंतन की प्रतिमा हो
शिव की महिमा
देवभूमि
आओ प्यारे मीत बनो अब
सुंदर बनने का सपना हो
परम सशक्त शक्तिसम्पन्ना
लिखता हूँ
कष्ट हरो हे माँ सरस्वती
जो कुत्तों को विष देता है
जब मानव की कीमत बढ़ती
क्रूर ग्रहों को अब ललकारो
किन्नर
चला है मुसाफिर अकेला सफर में
अमेरिका का बाप
अपने में ही सिमट मुसाफिर
खड़ा सामने इक मानव है
जो तोड़ेगा पिट जायेगा
मानव बन कर ही रहना है
व्यर्थ बहस से बच कर निकलो
धर्म और दर्शन
अहंकार अब मन से भागे
मुझ को जीने का मौका दो
मन को अब विश्राम चाहिये
मतवाला बन सदा विचरना
सुंदर संबोधन बन जाओ
ज्ञान! चले आओ मानव बन
बहो प्रेम तुम सज्जन बनकर
धर्म मनुज का नाम हो
अभिलाषा
माँ प्रदत्त हिंदी अति प्यारी
मत बर्बाद करो अमृत को
सुंदरता की झड़ी लगाओ
परम भाव बन बह अंतस में
नमो नमो हे सरस्वती माँ
सुंदर घर हो
मातृ शारदा ज्ञान-प्रेम बन
प्रीति हमारी प्रीति हमारी
वतन
कलम
चल रचना
शिव भाषा
मातृ शारदा सहज सिद्धिदा
मुझे साथ रहना है केवल तुम्हारे
आश्चर्य
दहेज
वीणापाणि मातृ श्री वर दे
मुझे चहकने दो
माँ शारदा का पूजन हो
वसंत पंचमी
सहज प्रवृत्ति
बन जाऊँ
मुझे भुलाना नहीं असंभव
मुझ को ऐसे ही रहने दो
मीठा सच
धर्म ध्वजा
वीर शहीदों का वंदन हो
प्रेममगन चालीसा
अहित सोच नहीं
चल चलो शिव के प्रिय देश में
देखे बिन बेचैनी मन में
संवाद
धर्म कार्य
उदात्त
गुरुदेव
प्रायश्चित
धार्मिक दोहा
दिल दीवाना आज हो गया
कठिन प्रेम की है परिभाषा
धीरे-धीरे कदम बढ़ाओ
आ जाओ प्रिय देर न करना
वरदानी माँ सरस्वती हैं