128 following
12 followers
श्रद्धा का स्थान
भाषा : हिन्दी
भाषा - कोटि - : सामाजिक
भाषा - कोटि - : कहानी
कर्म का पचड़ा
गीताधर्म
अठारहवाँ अध्याय
सत्रहवाँ अध्याय
चौदहवाँ अध्याय
तेरहवां अध्याय
बारहवाँ अध्याय
ग्यारहवाँ अध्याय
दसवाँ अध्याय
नवाँ अध्याय
आठवाँ अध्याय
सातवां अध्याय
छठा अध्याय
पांचवा अध्याय
चौथा अध्याय
तीसरा अध्याय
दूसरा अध्याय
पहला अध्याय
प्रवेशिका
पूर्वापर संबंध
गीता का योग
शक्ति का सच्चा स्वरूप और उसका विकास
श्रीमद्भागवत में श्रीकृष्ण-चरित्र
मानव सेवा ही असली वेदांत
ईश्वर की सत्ता
पूर्वमीमांसा दर्शन भाग - 2
पूर्वमीमांसा दर्शन
जब तुम्हारे साथ मेरा खेल हुआ करता था
भाषा - कोटि - : कविता
हे सुंदर आए थे तुम आज प्रात
प्रेम तुम्हारा वहन कर सकूँ
गाते-गाते गान तुम्हारा
एक-एक कर
मान ली, मान गयी मैं हार
तुम लोगों ने सुनी नहीं क्या
वह तो तुम्हारे पास बैठा था
विश्व है जब नींद में मगन
अपने इस वाचाल कवि को
जीवन जब सूख जाए
तुम अब तो मुझे स्वीकारो नाथ
अपने सिंहासन से उतर कर
आज द्वार पर आ पहुँचा है जीवंत बसंत
मुझे झुका दो
कहाँ है प्रकाश, कहाँ है उजाला
तुम नए-नए रूपों में, प्राणों में आओ
प्रेम में प्राण में गान में गंध में
अंतर मम विकसित करो
विपदा से मेरी रक्षा करना
अनजानों
मैं अनेक वासनाओं को चाहता हूँ प्राणपण से
मेरा मस्तक अपनी चरणधूल तले नत कर दो
0
Viewers
Following
39
Followers
13
103
94