क्या करूँ

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लिए   बैठा   है   हाथों  में,  हर  कोई प्याला, दौर-ए-मय   से  सराबोर   है,  ये   मधुशाला। हर   कोई   ज़िंदगी  का  तजुर्बा  सीखता  है, कैसी  अजब  गजब है  देखों  ये पाठशाला। मस्ती में  झूम  ...

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