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तृष्णा ही बुझाई है सबकी, ये वो बेशक़ीमती आब है। रौशिनी हर-सू फैलाई है, ये इल्म -ए- आफ़ताब है। तुम्हारे तमाम सवालों के, इसके पास ही जबाब है। जीवन में खुश्बू ...