सौलाह श्रृंगार

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बन सवार कर भी...........लाज से पलके झुकानी, बिंदी, माँगटिका, सिन्दूर लगा सजी, एक दीवानी, ये सौलाह श्रृंगार हैं......उसके सुहाग की निशानी। नैनन में काजल..हाथों में चूड़ी...मेंहदी...अंगूठी, कैशों में गजरा...सबकी है अपनी ...

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