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Thanks a lot Varsha ji
रोटी दो वक्त की
भाषा : हिन्दी
भाषा - कोटि - : कविता
सफर
द्रोपदी का चीर
शब्दो की महिमा
ये रेशमी जुल्फे
तेरी याद
सरहद पार
हँसी राते
मन की तितली
आदर्श जीवन
फंसे सांसत में मेरे प्राण
मेहबूब
🙏मनोकामना🙏
दिल आवारा पंछी
निराशा
वफादार
चरणराज
संगीत का जादू
करूणा
लेखनी प्रतियोगिता -25-May-2023 शगुन की थाली
तेरा सजना संवरना
विश्व बंधुत्व
देखो है मानव
मेरी कल्पना मैं तुम आते हो
अमरप्रेम
चांद गवाह है
आत्मा को परमात्मा की गुहार
खुशी के वो पल
ढ़लती शाम
एक आह सी उठती
उदारता
जुदा होना ना
मां की अभिलाषा
धीरज
जीवन नैया
मां और मायका
द्रढ निश्चय
ससुराल और मायका
पूछ रहे हो
परिवर्तन
आ चल
शगुन की थाली
नाजायज इश्क
नैतिकता
दादी नानी
प्रिय तुम आ जाओ
तमन्ना
🤝*जीवन - दर्पण 🤝
जीवन आनंद
भक्तवत्सल
मेरा पहला प्यार
शपथ
कर्तव्य
मानवता मैं छेद जात पात का भेद
एक तम्मन्ना है दिल की
हिचकियां आती
स्त्री की आशंका
चंचल चपल मन विद्युत सा
मौन
मेरा गाँव
स्वाभिमान
मेरे लाल
बचपन
श्रमिक की व्यथा
तजो रै तजो अहंकार
तेरी गलियों की धूल बनू
बेखबर इश्क
लूटी लूटी सी मर्यादा
ममता
पक्षी
ज़िंदगी की रीत
शिशु की आँखों मै देखा संसार
आराधना
बेटी
धरती की पुकार 💦🌹💦🌹💦🌹💦
पुराने घर मै
पहला प्यार
पुस्तक
कुछ तो करो
सच झूठ
इतराती रहूँ मैं
महक जिंदगी की
विधाता
हद कर दी
चाहते
इजहारे इश्क
अपमान
डाली से टूटकर फुल
दृष्टिकोण
भरोसा
अनकही बात
छोटी सी यह
दास्ता ए पानी
उम्मीद
इंसान डरता है
🌹ढूँढ रही समेट रही 🌹
रिश्ता
सत्यमेव जयते
सरहद के पार
नारी तुम स्वयं सिद्धा हो
ये रात अंधेरी
अहम ने वहम पाल रखा
सबके अपने राम
हो सके तो लौट आओ
शराब
राधा के कृष्ण बदल गए
छोड़ो सब भ्रमजाल है
चाँद से बन जाये
सिंदूर
हर जगह बस
मन के बंध दरवाजे
शब्दों का मायाजाल नही
भक्ति में शक्ति
भगत सिंह
अनोखी माँ
लोग रूठ जाते है
स्त्री और आईना
ऑंखें
🌹कविता और भावना🌹
खुद्दारी
आँचल
प्यार का तोहफा
💧पिता 💧💧
बेटियां
मेरा घर
शून्य
सोच
तुम और तुम्हारी यादें
परेशानियां तो आती रहती है
फिज़ा
पाषाण युग
हाॅं मुझे गर्व
कौन दे मेरे सवालों के जवाब
ये मेहंदी
खेल ये खिलाती जिंदगी
एहसास अधूरेपन का
लोग कैसे कैसे
साँस
पेजनियाँ
खुशियाँ दो कदम
दुआ करो तो इतनी
जुनून
मुठ्ठी भर गुलाल लाल मुठ्ठी भर गुलाल लाल
काश तुम पहले मिल गए होते
होली है सब भुला कर मुस्करा कर मिलो
सुकून
काश हम भी अगर बच्चे होते
प्रीत का रँग
कैसी पैसे की भूख
अजनबी
इंद्रधनुष्
प्रह्लाद सी निष्ठा दे दो
बहती धारा
राधा कृष्ण
माँ तेरी गोद में
स्वभिमान
सपने भी कितने अजीब होते
प्रेम रंग
शब्द शब्द का अर्थ होता
मन और मस्तिष्क
अंधविश्वासों के गिद्ध
बेरुखी
निर्जर जैसी अपनी है धुन
फिजाओं में जहर है घुला
कंचन
मेरे अवगुण हर लो ना भगवन
सौतन
साँझ
धन्य हुए मानव तन पा कर
हमराही
तुलसी
क्या क्या खेल खिलाती है जिंदगी
तेरी मेरी कहानी 🌹
भाषा - कोटि - : नॉन स्टॉप 2022
🌹भूख🌹
🙏🙏मेरी कलम🙏🙏
महाशिवरात्रि
ये कौन सा खंजर है
भोर की लाली
मात्र शब्दों का फेर
रंगे वतन तेजी से बदल रहा है l
बात उन दिनों की
मुझ में बहुत कमी है
मेहंदी तेरे नाम की
इज्जत
कामयाबी
किस्मत तेरे खेल निराले
सपने
जीवन साथी
झूठा यह जग
शब्द बहुत कुछ कहते
आरंभ लिखूँ या अंत लिखूँ
दहेज
मेरी चाहत
नृत्य
खारा पानी
रिश्तेदार
😄😄मुस्कान😄😄
मुझको जीने का अधिकार दो
तेरी चूड़ियाँ
बैठ जाया करो पापा के पास
विवाह विच्छेद
मोहब्बत की राह मैं उलझ सी गई है जिंदगी
💧 विरह💧
संदेह रूपी दिवार
कली
काश तुम पहले मिले होते
वो मेरे ही घर मैं रहने की मुझको उम्र कैद दे गए
💦 ये ओंस की बूँद 💦
मुस्कराओ तो ऐसे की दिल मैं उतर् जाओ
कोई जख्म दे गया लफ्जों से
क्रोध पाप का कारण कैसे बन जाता
प्रकुति तेरा करते हम वंदन
संयम
जिंदगी और आम इंसान
राज को राज ही रहने दो
उसका निज वसंत
मेरे दिल मैं जगह खुदा की खाली थी
वसंत
ये मन भटक रहा तेरे संसार में आ कर
माँ तुम जीवन हो
पिया बसंती रे
नदियाँ
इतनी सी चाह
सावित्री
दर्द ये कम्बख्त मेरा पता जानता है
कोई चादर से बाहर नँगे बदन आज भी है
दस्तक तो दी होती
शिव रात्रि
स्वावलंबी
बुरा इंसान
सब होता निश्चित
जरा सी खता
औरत का जीवन एक कसौटी
बिखराव
जिंदगी की पहेली
दिसम्बर की ठंडी
पूरब की चली हवा
👏👏धरा के शिव👏👏
मकर संक्रांति
हे माँ शारदे
समर्पण
चलो आज फिर
☝वक्त और समय☝
कहना राम जी से
मेरी डायरी
वो भ्रम मै
महंगाई की मार है
हिंदी हमारी
बेटियाँ
दिल ही तो है
जो मैं होती तेरी बाँसुरिया
युग बीते बरसों हो गए नव सर्जन को
फैसला
मतलबी रिश्ते
कैद हूॅं इस शोर में
यादें
नारी तुम केवल श्रद्धा हो
शुरुआत नववर्ष की
कल्पना
हर्दय से चाहो तो
वो लम्हे
माॅं तेरा जाना
नव वर्ष की शुरुआत
पत्तो से टपकती ऑस् की बूंद
मेहनत की रोटी
बच्चे
फर्ज
ख़त
कैसे कहूं?
तेरा घर आँगन मैं महकाउंगी
नादान
ए जिंदगी
प्रेम
वो मेरे सांता
दगा
भाषा - कोटि - : लेखमंथ प्रतियोगिता 10 से 25 दिसम्बर
समय की धारा
मन खुशी से झूम उठा
पथ
इंसान की पहचान
माटी की महिमा
सच का सामना
पैगाम
जिसने भी कहा खूब कहा
मां
लक्ष्य
लव जिहाद
💧💧पिता 💧💧
मैं और मेरी तन्हाई
ऑंसू
आज की बेटी मां बहन
वेराग्य
वतन
लिखना तो चाहती
सवाल
अधूरी तमन्ना
मेरे जज़्बात
गगन
पल दो पल
कौन अपना कौन पराया
मन वेदना से उठता तड़प
विनति ना करो इसका सेवन
आईने सी बिखर ना जाएं जिंदगी
ख़ामोशी भी एक शोर हैं
भारत का संविधान
जीवन संसार
कठपुतली
ये पुरूष का पुरूषत्व
सफलता
अभिलाषा
चलो एक नया शहर बसाते
खुशी और गम
वो ऐसा एहसास
ब्रह्मतत्व की चाह में पथ की तलाश
मेरे प्रभु
सांसों पर अब ना रहा जोर
विवाह संस्कार
होता असर दुआओं का
भाषा - कोटि - : कहानी
साक्षरता की सार्थकता
ये कैसा वन जीवन
युद्ध
मोड़ सुख का मोड़
अद्भुत पल
लेखनी कहानी -23-Nov-2022 kavita
आईने सी बिखर ना जाए जिंदगी
एहसास
लेखनी प्रतियोगिता -22-Nov-2022 pathik
महत्ता खोता बाल दिवस
बेटी माॅं का अक्स होती
लेखनी प्रतियोगिता -21-Nov-2022 gale nhi
लेखनी प्रतियोगिता -26-Feb-2023
लेखनी कहानी -22-Nov-2022मेरी माँ- ओपन प्रतियोगिता
VIJAY POKHARNA 'यस'
30-Dec-2022
Zakirhusain Abbas Chougule
07-Dec-2022
Thanks Varsha ji
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