दो कश्ती के मुसाफ़िर

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छोड़ के मुल्क अपना बना में मुहाजिर, इबादत छोड़ी खुदा की बना में काफ़िर। मुझे मेरी ही बुराइयाँ गिनता है वो अब, वाह रे वाह! एहसान फरामोश शाकिर। तेरी ये नज़रअंदाजियाँ ...

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