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मुझे कितना लाड़ लडाती थी, मेरे बिखरे बाल सुलझाती थी। बुरी नज़र से दूर रखने के लिए, माँ नज़र का टीका लगाती थी। स्वरचित : निखिल घावरे "निक्क सिंह निखिल" भोपाल ...