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हम सौलाह श्रृंगारों से सवर जाते, तुम जो कुछ पल और ठहर जाते। रौनक चली गई है मेरे चेहरे की, ये पर्दे बे-रौनकी के भी उतर जाते। एक सुनापन छाया है ...