चिठ्ठी हूँ

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लोगों  के पैर  ज़ख़्मी करने  वाली  गिट्टी हूँ, तू पानी  नदियों का मैं  किनारे की मिट्टी हूँ। जिसका  पता ठिकाना  नहीं कोई "निक्क", अपने मुकाम पर ना पहुँचने वाली चिठ्ठी हूँ।। ...

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