कुंडली

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कुंडली समता जीवन मूल्य का,जो करता सम्मान। वही अलौकिक दिव्य मन, रचता सुखद विधान।। कहें मिसिर कविराय, रखो सबके प्रति ममता। कर समाज का मान, मनुज बन लाओ समता।। समता समतल ...

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