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साया




साया (कुण्डलिया)


साया सबको चाहिये, साया का है अर्थ।

जो पाता साया नहीं, उसका जीवन व्यर्थ।।

उसका जीवन व्यर्थ, बिना आश्रय के जीता।

किंकर्तव्यविमूढ़, गमों की मदिरा पीता।।

कहें मिसिर कविराय, रहे चेतन मन-काया।

जिसके ऊपर होय, सदा ईश्वर का साया।।


साया उत्तम का करो, आजीवन यशगान।

मात-पिता-गुरु-ईश ही, जीवन के वरदान।।

जीवन के वरदान,भाग्य से मिलते उनको।

 जो सत्कर्मी वेश, किये धारण शुभ मन को।।

कहें मिसिर कविराय, जगत यह केवल माया।

जीवन है वरदान, मिले यदि दैवी साया।।




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3 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:53 PM

👍👍🌺

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Abhilasha deshpande

12-Jan-2023 06:04 PM

Nice

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अदिति झा

12-Jan-2023 04:22 PM

Nice 👍🏼

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