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सच्चिदानंद



सच्चिदानंद (दोहे)


सत-चित अरु आनंद से, बनते हैं भगवान।

सदा सच्चिदानंद पर, लगे हमारा ध्यान।।


जिसकी सत्ता है सदा, कायम अमर महान।

उसको ही तुम समझना, एक दिव्य भगवान।।


सुख का जो आधार है, हर प्राणी का मूल।

उसको ही नित जान लो, सदा महकता फूल।।


मन मानस अति सौम्य शुभ, निर्गुण-सगुण सुनाम।

यही सच्चिदानंद का, पावन उत्तम धाम।।


वह अनाम बहु नाम है, राम श्याम अविराम।

उसके पावन चरण में, देख स्वयं का धाम।। 


परम सच्चिदानंद ही, अखिल लोक के नाथ।

प्राणि मात्र को चाहिये, सिर्फ ईश का साथ।।


जहाँ सच्चिदानंद हैं, वहीं अयोधया देश।

प्रिय काशी मथुरा वहीं,वहीं दिव्य सन्देश।।


देख सच्चिदानंद को ,अपने भीतर झाँक।

लौकिकता मिट जयेंगी, जल कर होगी राख।।


सत-शिव-सुंदर भाव ही, दिव्य सच्चिदानंद।

इन मूल्यों से बह रहा, सरस मधुर आनंद।।


आसानी से मान लो, ब्रह्म स्वयं आनंद।

आनंदक हर वस्तु में, रहते ब्रह्मानंद।।


सहज आत्म के रूप में, सरल सच्चिदानंद।

ऐसा करना कर्म जो, दे आत्मिक आनंद।।


नहीं भाग्य में दैत्य के, कभी सच्चिदानंद।

दैत्यों को मिलता कहाँ, कभी दिव्य मकरंद।।


ब्रह्मानंदी जो नहीं, वह सूकर मन-देह।

दुर्गंधित वातावरण, गन्दा नाला गेह।।


परम सच्चिदानंद में, जो करता विश्वास।

उसी मनुज के देह-मन ,में ईश्वर का वास।।


जिसका निर्मल मन-हृदय, वही सच्चिदानंद।

हितसाधक परमारथी,पावत सहजानंद।।


देख भोग में योग को, और योग में भोग।

योग-भोग संवाद से, कट जाते भव रोग।।


देख सच्चिदानंद को, योग-भोग में नित्य।

यह आनंद प्रसाद मधु, मधुर धाम प्रिय स्तुत्य।।


मधुर हृदय मन निर्मला, पावन सहज विचार।

मनमोहक आनंद की, यह है सुखद बहार।।


जहाँ सच्चिदानंद हैं, वहीं सर्व प्रिय पर्व।

खोजो निज में बैठकर, करो आत्म पर गर्व।।





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2 Comments

Muskan khan

09-Jan-2023 06:11 PM

Nice

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Sushi saxena

08-Jan-2023 08:24 PM

👌👌

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