भवसागर
भवसागर
अत्यंत भयावह
बहुत दुखद
तन-मन दुखी
कोई नहीं सुखी
लोग अनायास ऐंठ रहे हैं
लंका में बैठ रहे हैं
धनमद में चूर
धर्म से बहुत दूर
आनंद काफूर
स्वयं चकनाचूर
दुख आता है
कष्ट पहुँचाता है
रोने के लिये विवश करता है
स्वयं हँसता है
यमदूत है
महा कपूत है
अचानक आता है
मार गिराता है
डटा रहता है
मन से सटा रहता है
नालायक है
रोगदायक है
इसे भगाओ
मन को समझाओ
इसे स्वीकार कर ही भगाया जा सकता है
मन को मनाया जा सकता है
विषपान करो
नीलकण्ठ बनो
शिवजाप करो
मत पाप करो
दुख दूर होगा
शिवयोग होगा
सावन आयेगा
शिवसोम गायेगा
डमरू बजायेगा
मन को पुनः सजायेगा।
सब्र कर
आगे बढ़
चला कर
मत हिला कर
वीर हो
साहस का परिचय दो
उत्साह को प्रश्रय दो
रोना नहीं, हँसते रहना
निरन्तर एवरेस्ट पर चढ़ते रहना।
Renu
23-Jan-2023 04:53 PM
👍👍🌺
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अदिति झा
21-Jan-2023 10:42 PM
Nice 👍🏼
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