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सोरठरोला




सोरठरोला

       (अभिनव अन्वेषण)


पढ़ना सात्विक ग्रन्थ, महामानव बन जाना।

मन में हो शिव पन्थ, जगत को राह दिखाना।।


समझ स्वार्थ को तुच्छ, धाम परमारथ जानो।

करना मन को स्वच्छ, सदा मन को पहचानो।।


करना है यदि नाम, कर्म परहित में करना।

रहो सदा शिवधाम, अहितकर से नित बचना।।


जिसके मन में पुण्य, वहीं पाता है सद्गति।

पापी निरा अपूज्य, भोगता दानव दुर्गति।।


त्यागो गन्दी नीति, सभ्य मानव बन जाओ।

पालन करो सुनीति, इसी से धर्म निभाओ।।


काम-क्रोध हैं रोग, मुक्त इनसे होना है।

कर विवेक का योग, सदा मानस धोना है।।


मानवता से प्यार,किया करता सज्जन है।

द्वेष भाव कुविचार, ग्रस्त रहता दुर्जन है।।


गुण की पूजा होय, जहाँ वह विद्यालय है।

मन का मेला धोय, मनुज प्रिय शिव-आलय है।।





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1 Comments

Renu

25-Jan-2023 03:53 PM

👍👍🌺

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