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तलाश




तलाश  (सजल)


मौन में जवाब की तलाश कीजिये।

फालतू हर बात को हताश कीजिये।।


मौन को परमाणु जान मौन को स्वीकार कर।

बकवास को शैतान जान नाश कीजिये।।


बात को बढ़ा-चढ़ाकर बोलते हैं जो।

क्लिष्ट इन नामर्द को निराश कीजिये।।


झूठ-मूठ की किताब गढ़ रहे हैं जो।

ऐसे कलमकार का विनाश कीजिये।।


शब्दजाल रच रहेजो भ्रम प्रचार में।

इन कुटिल-कुचक्र का उपहास कीजिये।।


मूर्खता की बात करते बन रहे सुजान वे।

ऐसे अहंकार का परिहास कीजिए ।।


सत्यता की राह जिन्हें लग रही गलत।

इन पर कुठाराघात का अभ्यास कीजिये।।


इंसान को जो अर्थ के पलड़े पर तौलता।

ऐसे घृणित शैतान का आभास कीजिये।।


तलाश हो इंसानियत के बाजुओं की अब।

इंसान में इंसान का विकास कीजिये।।




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2 Comments

Muskan khan

09-Jan-2023 06:09 PM

Nice

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Sushi saxena

08-Jan-2023 08:21 PM

👌👌

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