डॉ. रामबली मिश्र
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प्रीति
प्रीति सदा मनमोहक हो।
स्वाद सदा अति दिव्य रसा।।
पावन भाव रहे सब में।
मादक मोहक स्वस्थ कसा।।
मोहित हो जगती सगरी।
हो सुखसाधन वायु बसा।।
भूमि अमी रस को उगले।
वंधन प्रेम सदा सुत सा।।
अंध मिटे जग में प्रतिभा।
सावन भाव बहे सहसा।।
Renu
23-Jan-2023 03:41 PM
👍👍🌺
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अदिति झा
21-Jan-2023 10:31 PM
Nice 👍🏼
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Renu
23-Jan-2023 03:41 PM
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अदिति झा
21-Jan-2023 10:31 PM
Nice 👍🏼
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