नीम
नीम (दोहे)
नीम देवता का सदा, बोलो जय जयकार।
हैं तरुवर के रूप में, शीतल छायादार।।
गर्मी में अतिशय सुखद, इसकी मीठी छाँव।
कृमि नाशक के रूप में, धोता सबके घाव।।
कई तरह के रोग का, करता यह उपचार।
औषधि परम महान यह, करो नित्य सत्कार।।
गाँवों की शोभा बना, लाता सुखद बहार।
देता अमृत भोग यह, जब भी चलत बयार।।
तरुवर नीचे बैठ कर , जपो राम का नाम।
जीवन के आनंद का, यह नैसर्गिक धाम।।
यदि दरवाजे पर खड़ा, पावन तरुवर नीम।
वहाँ भूल कर भी कभी, आता नहीं हकीम।।
अंग-अंग में नीम के, दवा-दुआ है नेक।
एक नीम में हैं छिपे, गुणसंपन्न अनेक।।
लोक मानता है इसे, दिव्य शीतला धाम।
माता के दरबार में, पाते जन विश्राम।।
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
31-Dec-2022 08:58 AM
शानदार
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