प्रेमदर्शन
प्रेमदर्शन (कुण्डलिया)
दर्शन करना प्रीति का, चमकीला उपहार।
इसको रखना हृदय में, यह उत्तम उपचार।।
यह उत्तम उपचार, रसायन यह अमृत है।
रखती दिल का ध्यान, बचाती यह बूटी सत्कृत है।।
कहें मिसिर कविराय, हृदय में रख कर चुंबन।
करना पूजन नित्य, नित्य कर स्पर्शन दर्शन।।
पालन करना नियम का, प्रेम रीति जग सार।
सच्चे भावुक मन सलिल, में नित इसे उतार।।
में नित इसे उतार, हृदय रंगीन बनेगा।
चले सुगंधित वायु, दुष्ट मन रोग जलेगा।।
कहें मिसिर कविराय, प्रेम का करना लालन।
इसको सदा निखार, करो शिशु जैसा पालन।।
पाया जिसने प्रेम को, पाया वह भगवान।
पाया वह सर्वस्व है, बन कुवेर धनवान।।
बन कुवेर धनवान, प्रेम रत्न धन
बाँटता।
हो सबके आसन्न, तिमिर को सदा काटता।।
कहें मिसिर कविराय, प्रेम को जो भी गाया।
बना जगत में श्रेष्ठ, प्रेम को निश्चित पाया।।
Renu
23-Jan-2023 04:51 PM
👍👍🌺
Reply
अदिति झा
21-Jan-2023 10:40 PM
Nice 👍🏼
Reply