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आशा




आशा   (दोहे)


आशा मेरी नायिका, आशा ही संवाद।

आशा जीवन वृत्त है, हरत सकल अवसाद।।


आशा ही आधार है, आशा कृत परिणाम।

आशा जेहन में बसी, करत कर्म निष्काम।।


आशा ही सुखयोग है, आशा मन का योग।

आशा ही हरती सदा, मन के सारे रोग।।


आशा जीवित शक्ति है, आशा में है जान।

आशा में जो रम गया,हुआ उसे सद्ज्ञान।।


आशा को साथी चुनो, रहो रात-दिन संग।

आशा जिसके पास है, वही जीतता जंग।।


आशा की हो कामना, आशा की हो चाह।

आशा जिसकी हमसफ़र, सरल हर कठिन राह।।


आशा शीतल छाँव का, करो सदा यशगान।

आशा का हरदम रहे, मन में सुरभित भान।।


आशा पावन कामिनी, आशा मधुमय प्रीति।

जिस घट आशा राज है, उस घट मधुरिम रीति।।


आशा उत्तम जीवनी, लिखती दिव्य सुलेख।

आशा के साम्राज्य में, सहज प्रीति की रेख।।


आशा को छोड़ो नहीं, इसे प्रेम  में बाँध।

यही स्नेह के योग्य है, अमृत तुल्य अगाध।।


जो आशा को जानता, घुलमिल बनत महान।

आशा की मोहक चमक, जिमि दामिनि का तान।।


आशा में जो जी रहा, वही बड़ा बलवान।

आशा की नित वंदना, पर करना अभिमान।।


आशा!आओ साथ में, करो संग में नृत्य।

भर लो अपने अंक में, दिखो धरा पर स्तुत्य।।


आशा की जयकार हो, आशामय हर सोच।

दुखियों के आँसू सदा, प्रिय आशा से पोछ।।


आशा ही हो प्रेमिका, दिल को करे प्रशांत।

उनको ढाढ़स दे सतत, जो भय से आक्रांत।।


आशा बसती है जहाँ, वहाँ सिंह सुख द्वार।

आशा की मुस्कान से, टपकत रस की धार।।


आशा ही वामांगिनी,बनकर दे शुभ लोक।

रच-रच-रच लिखती रहे, अमर कृत्यमय श्लोक।।



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2 Comments

Abhilasha deshpande

12-Jan-2023 05:37 PM

Beautiful poem

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अदिति झा

12-Jan-2023 04:21 PM

Nice 👍🏼

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