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माहिया




माहिया


साया बनकर आना

नहीं भूलना तुम

तन-मन पर छा जाना।


प्रियतम को पाना है

चूक नहीं होगी

प्रिय के घर जाना है।


मधुघट का प्याला हो

चाह रहा पीना

तुम मेरी हाला हो।


 तुम पास सदा रहना

वायु बने  बहना

मन को शीतल करना।


तेरी ही आशा है

छोड़ नहीं देना

तेरी प्रत्याशा है।


भावुक होकर  बहना

साथ चलो मेरे

प्रिय शब्द सदा कहना।


दिल को बहलाना है

देख जख्म दिल के

इसको सहलाना है।


पाँवों में छाले हैं

 बहुत दुखी काया

पीड़ा के प्याले हैं।


तुम प्रीति पिला देना

है निराश यह मन

मृतप्राय जिला देना।।




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2 Comments

Abhilasha deshpande

12-Jan-2023 05:50 PM

Very osm poem

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अदिति झा

12-Jan-2023 04:22 PM

Nice 👍🏼

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