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नमन




नमन  (चौपाई)


नमन सदा स्वीकार करो मम।

होना कभी नहीं तुम निर्मम।।

हाथ जोड़ कर मैं कहता हूँ।

तेरा अभिनंदन करता हूँ।।


वंदन को इंकार न करना।

मर्यादा को तार न करना।।

हृदय भाव को जो समझेगा।

वही विश्व का मीत बनेगा।।


छिपा हुआ है प्रेम नमन में।

सात्विकता का वृक्ष नमन में।।

खुले हृदय से स्वागत करता।

सबको मित्र बनाते चलता।।


आदर मधु सम्मान बाँटता।

अंतहीन परिधान बाँटता।।

नहीं किसी से याचन करता।

नियमित स्वस्तिक वाचन करता।।


हो नमनीय प्रणम्य सदा तुम।

वंदनीय शिव पूज्य सदा तुम।।

गले लगाने की चाहत है।

इसके बिन मन मर्माहत है।।


नमन नमन हे प्रिय भवसागर।

प्रेमरूपमय यज्ञ सुधाकर।।

प्रभु बनकर वंदन स्वीकारो।

इस निरीह पर अद्य विचारो।।




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2 Comments

Renu

23-Jan-2023 03:42 PM

👍👍🌺

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अदिति झा

21-Jan-2023 10:31 PM

Nice 👍🏼

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