सजल
सजल
तरसो न भटको सजन के लिये।
मोहब्बत करो नित वतन के लिये।।
बूँद बनकर बहो बहते जाना सतत।
सिंधु बन जाओगे शुभ्र जन के लिये।।
करते रह चिंतना सबके प्रति वेदना।
मन के भावों को गढ़ना सृजन के लिये।।
कोर रखना नहीं दिल से निर्मल बनो।
स्थान देना हृदय में सुजन के लिये।।
प्यार के पुष्प की नित्य वर्षा करो।
मोह लो सारे मन को चमन के लिये।।
श्रेष्ठ बनना सदा सोच पावन रखो।
जीते रहना सहज प्रेमपन के लिये।।
व्यर्थ में मत गवाना कभी जिंदगी।
जीना सीखो सदा 'शिव मिशन' के लिये।।
स्नेह रस को पिलाओ पिलाते रहो।
बाँट दो अपना सारा मगन के लिये।।
कुछ भी संचित न कर तेरा कुछ भी नहीं।
छोड़ दो पाण्डु बनकर कथन के लिये।।
Muskan khan
09-Jan-2023 06:08 PM
Nice
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