भावुकता
भावुकता (चौपाई)
भुवुकता को प्यार चाहिये।
अति सम्मोहक यार चाहीये।।
मन से साफ-स्वच्छ जो होगा।
वह भावुक के दिल में होगा।।
भावुकता अति प्रेम दीवानी।
प्रेम महल की है वह रानी।।
उसको केवल प्रीति चाहिये।
नहीं कदापि अनीति चाहिये।।
स्वाभिमान ही उसका जीवन।
अतिशय पावन कोमल अज मन।।
देवशक्तिमय देवी दानी।
दिव्य भवानी सभ्य सुहानी।।
जिसको भावुकता है प्यारी।
वह रचता सुंदर सुकुमारी।।
धरती का वह मान बढ़ाता।
मानवता का ज्ञान कराता।।
भावुकता को जो सहलाता।
वह गंगा में नित नहलाता।।
उसका कोई जोड़ नहीं है।
इस जग में बेजोड़ वही है।।
भावुकता गुलाब से ऊपर।
महा सुगन्धित ज्ञान विप्रवर।।
भावुकता को जिसने जाना।
वसुधा को कुटुंब सा माना।।
अतिमानवप्रेमी भावुकता।
पूर्णरूप से भरी सहजता।।
सरल चित्त अति निर्मल वदना।
कहती रहती मोहक वचना।।
अति सम्मोहक मंत्र यही है।
सुंदरता का तंत्र यही है।।
इसको केवल प्यार चाहिये।
दुर्लभ सुजन सवार चाहिये।।
अतिशय मीठा यार चाहिये।
साफ-पाक घर-द्वार चाहिये।।
मृदुल स्नेह साकार चाहिये।
अमृतमय रसधार चाहिये।।
Renu
23-Jan-2023 04:50 PM
👍👍🌺
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अदिति झा
21-Jan-2023 10:38 PM
Nice 👍🏼
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