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चाहिये




चाहिये (सजल)


एक सुंदर सा सलोना रूप हमको चाहिये।

मधु सुगन्धित भावना का भूप हमको चाहिये।


हो नहीं नाराज जो हर बात पर,

एक प्रियतम आतमा का स्तूप हमको चाहिये।


नीर निर्मल सदा शीतल मन प्रहर्षक दिव्य हो,

एक पावन गंगमय शिव कूप हमको चाहिये।


काँपती काया बहुत ही ठंड से,

गर्म के अहसास को अब धूप हमको चाहिये।


दीखती उपमा यहाँ पर एक से बढ़ एक सी,

कुछ नहीं बस स्वर्ण सुमुख अनूप हमको चाहिये।


अन्न-तन-मन में भरे भूसे दिखे,

साफ करने के लिये इक सूप हमको चाहिये।




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2 Comments

Abhilasha deshpande

12-Jan-2023 05:05 PM

Beautiful

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अदिति झा

12-Jan-2023 04:16 PM

Nice 👍🏼

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