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कृष्ण




कृष्ण   (सजल)


कृष्ण बनना बहुत ही कठिन काम है।

कृष्ण में राधिका का सहज धाम है।।


कृष्ण निःस्पृह सदा एक रस प्रेम के।

गोपिकाओं-लताओं के प्रिय नाम हैं।।


कृष्ण लीलाधरण प्रेम में आशिकी।

राधिका के लिये वे निरा काम हैं।।


राधिका नाचतीं कृष्ण को देखकर।

भक्ति की उच्चता की स्वयं वाम हैं।।


कृष्ण कहते सदा राधिके राधिके।

कृष्ण में राधिका का मधुर ग्राम है।।


दोनों दो हैं नहीं एक ही मूर्ति हैं।

दोनों प्रेमी युगल एक ही नाम है।।


प्रेम राधा में है कृष्ण में भी वही।

प्रेम के नाम पर होते सब काम हैं।।


प्रेम द्वापर में पनपा व फूला-फला।

प्रेम की जिंदगी में सदा श्याम हैं।।


प्रेम सच्चा जहाँ कृष्ण रहते वहाँ।

वृंदावन का वहीं  राधिका धाम है।।


रात-दिन प्रीति करते सदा कृष्ण हैं।

प्रीति में दिखता राधा का शुभ नाम है।।


हो नहीं राधे-कान्हा की संगति यदा।

प्रेम का नाम धरती पर बदनाम है।।


प्रेम करते बहुत पर निभाते नहीं।

छोड़ जाते बहुत करके गुमनाम हैं।।


प्रेम को जो निभाता वही कृष्ण है।

बादलों सा बरसता वह घनश्याम है।।


निभाये जो रिश्ता वही  दिल से प्रियवर।

वंशी की धुन पर मचलते श्री श्याम हैं।।




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2 Comments

Abhilasha deshpande

12-Jan-2023 06:10 PM

Jai shri Krishna

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अदिति झा

12-Jan-2023 04:28 PM

Nice 👍🏼

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