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चरित्रहीनता




चरित्रहीनता


चरित्रहीनता अभिशाप है

चरित्र का शाप है

सामाजिक पाप है

दुष्कर्मों का जाप है ।


जो चरित्र की रक्षा नहीं कर सका 

वह मर चुका।


चरित्र में आत्मबल होता है

यह प्रबल होता है।

यह न टूटता है

न झुकता है।

यह चट्टान है

पवित्र स्थान है।

यह दहाड़ता है

चरित्रहीन को ललकारता है।

यह तेज है

ओज है

महत्तम है

सर्वोत्तम है।


चरित्रहीन आभाहीन है

दीन-हीन है।

अबल है

निर्बल है।

चरित्रहीन के चेहरे पर

कालिख होती है

जो काला इतिहास लिखती है।

चरित्रहीनता की कालिमा

कभी धुलती नहीं है

बह कर कभी निकलती नहीं है।


चरित्र पावन मन है

गमकता वतन है।

चरित्र पवित्र है

इत्र है।

चरित्र सफेद पोश है

दिव्य जोश है

यह यौवन है

आनंद वन है ।

यह अजर अमर है

मोहक घर है।

यह गर्व है

जीवन का शुभ पर्व है।

यह आत्मसम्मान है

महान है।

यह निडर है

सुघर है।

यह हृदय है

सर्वोदय है।

यह नायक है

प्रेम के लायक है।

यह विशुद्ध है

महात्मा बुद्ध है।

चरित्र की रक्षा करो

गन्दी प्रवृत्ति की उपेक्षा करो।




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2 Comments

Sachin dev

31-Dec-2022 06:10 PM

बहुत खूब

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