गुरुदर्शन
गुरुदर्शन (सजल)
गुरुदर्शन से सब मिलता है।
गुरु से ही जीवन फलता है।।
गुरु बिन अंधकार धरती पर।
बन प्रकाश गुरु खुद चलता है।।
गुरु ही जग को राह बताता।
गुरु से ज्ञान सहज पलता है।।
गुरु ही रचनाकार लोक का।
बिन गुरु यह जीवन खलता है।।
गुरु शिष्यों के दुख को हरता।
रोग भयानक नित गलता है।।
ज्ञान और विज्ञान दान कर।
गुरु शिष्यों में खुद हलता है।।
गुरु का स्नेह वरद अति पावन।
दुष्ट शिष्य गुरु से जलता है।।
श्रद्धा अरु विश्वास ज्ञानमय।
श्रद्धाहीन हाथ मलता है।।
गुरु का कृपा-प्रसाद दिव्यतम।
गुरु को पा कर दुख टलता है।।
गुरु चरणों में शीश झुके जब।
सकल पाप जल्द धुलता है।।
सद्गुरु मिलते बड़े भाग्य से।
सद्गुरु पा कर मन खिलता है।।
गुरु को जो अपमानित करता।
उसका कंपित दिल हिलता है।।
जो गुरु की सेवा करता है।
उत्तम साँचे में ढलता है।।
गुरुद्रोही अवनति पथगामी।
अपने को खुद ही दलता है।।
गुरु ही सर्वश्रेष्ठ धरती पर ।
गुरुसेवक हरदम हँसता है।।
Renu
23-Jan-2023 04:51 PM
👍👍🌺
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अदिति झा
21-Jan-2023 10:40 PM
Nice 👍🏼
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