जनहरण घनाक्षरी

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जनहरण घनाक्षरी सर सर सर सर, सरकत सर सर; भरभर भरभर, भगत समय है। रहत न थिर तन, चलत रहत नित; जगत लखत वह, दिखत समय है। चलत रहत वह, बहत ...

अध्याय

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