दुर्मिल सवैया

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दुर्मिल सवैया मन में नहिं चोर रहे कबहूँ, मन को नित साफ किया करना। निःशंक रहो कपटी न बनो, शुभ चिंतक हो चलते रहना। सबके प्रति भाव विशुद्ध रहे, सबको अपना ...

अध्याय

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