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मेरी पावन शिवकाशी दशाश्वमेध घाट अति पावन, विश्वनाथ इसके वासी; सब घाटों से यह बढ़ -चढ़ कर, दिव्य पुरातन सुखराशी; गंगा मैया का निर्मल जल, इसी घाट की शोभा है; स्वच्छ-धवल-रमणीक ...
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