माहिया

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माहिया जरा हाथ मिला लेना छोड़ चलो नफरत  रस प्रीति पिला देना। करवद्ध यही कहता बात सदा मानो राह जोहता रहता। करुणा हो सीने में सुनो करुण क्रंदन भाव बहे जीने ...

अध्याय

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