कहीं नहीं मुझ को जाना है

270 भाग

234 बार पढा गया

6 पसंद किया गया

कहीं नहीं मुझ को जाना है मन मस्त हुआ मन मौन हुआ।      कहीं नहीं मुझ को जाना है।। आत्मतोष का अनुभव होता। खुद को छोड़ नहीं जाना है।। मातृभूमि पर अलख ...

अध्याय

×