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कुंडलिया

140…. कुंडलिया


हुकुमत कभी चले नहीं, जिसमें हो अन्याय।

आज्ञा से अवसर भला, जिससे प्रेरित न्याय।।

जिससे प्रेरित न्याय, वही सबको करना है।

सर्वोचित प्रिय पंथ, सभी को उर रखना है।।

कहें मिश्र कविराय, रहो अच्छे पर सहमत।

जग में करे न राज, कभी भी गंदी हुकुमत।। 


हुकुमत मानवपरक हो, लाए उत्तम राज।

मानवतावादी समझ, से हों सारे काज।।

से कर सारे काज, मनुज अनमोल दिवाकर।

मन में सेवा भाव, स्वयं में है रत्नाकर।।

कहें मिश्र कविराय, कभी मत पालो गफलत।

समुचित होय विचार, इसी पर केंद्रित हुकुमत।।

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2 Comments

Gunjan Kamal

22-Nov-2022 11:11 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Teena yadav

21-Nov-2022 08:35 PM

OSm

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