संमार्ग
संमार्ग (दोहे)
सत्य पंथ को जो गहे, वही कबीर महान।
झूठे मानव के लिए, जग में नहीं है स्थान।।
जिसे सत्य से प्रेम है, वह पूजित इंसान।
झूठे मानव को नहीं, मानत हैं भगवान।।
जिसके पावन भाव हैं, वही देव भगवान।
कलुषित कर्मों में सदा, रहता है शैतान।।
रक्षक बन जो चल रहा, वही सत्य का रूप।
सबकी रक्षा में लगा,हर मानव है भूप।।
सबके प्रति सम्मान का ,जिसके मन में भाव।
वही डालता जगत पर, अपना अमर प्रभाव।।
सन्मार्गी रचता सदा,अति स्वर्गिक संसार।
सबके प्रति सद्भाव से, करता रहता प्यार।।
Supriya Pathak
08-Dec-2022 10:27 PM
Bahut sundar 💐
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Varsha_Upadhyay
08-Dec-2022 08:27 PM
बहुत खूब
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Sachin dev
08-Dec-2022 05:57 PM
शानदार भाग
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