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कुंडलियां




कुंडलिया 

करना तुमसे प्यार है, यह दिल का उद्गार।
इस उत्तम संदेश से, अब होगा इजहार।।
अब होगा इजहार, सुनो ये सच्ची बातें।
मन से मन को जोड़, कटेंगी सारी रातें।।
कहें मिश्र कविराय, हाथ को प्यारे धरना।
कभी न देना छोड़, हृदय से मंथन करना।।

कहता मन बस है यही, तुम हो मेरा प्यार।
कंपन होता हृदय में, जब हों आँखें चार।।
जब हों आँखें चार, समाता तन है तन में।
मिलती अति संतुष्टि, स्वर्ग दिखता है मन में।।
कहें मिश्र कविराय, ओज तन मन में भरता।
आओ मिलो जरूर, यही सच्चा मन कहता।।

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4 Comments

Gunjan Kamal

15-Nov-2022 05:59 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻

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Asif

09-Nov-2022 07:02 PM

Nice

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Muskan khan

09-Nov-2022 05:43 PM

Well done 😊

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