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दोहे




दोहे

भाग्य पूर्व के जन्म के, कर्मों का फलदान।
जिसका जैसा कर्म है, उसको वैसा भान।।

नहीं भाग्य में है अगर, लिखा किसी को प्यार।
कितना भी कोशिश करे, नहीं मिलेगा यार।।

कर्म तपस्वी रात दिन, करता रहता काम।
तन मन दिल उसका सहज, बन जाता है धाम।।

सुंदर कर्मों को सतत, जो समझेगा साध्य।
पूजनीय वे कर्म ही, बन जाते आराध्य।।

सुभमय शिवमय कृत्य से, मिल जाता है प्यार।
प्यारा मधुमय हृदय ही, सदा प्रेम का सार।।

स्वच्छ धवल उज्ज्वल विमल, मन में दिव्य बहार।
पहनाता रहता सहज, प्रिय को प्यारा हर।।

प्यार दिखावा है नहीं, यह है अमृत तत्व।
दिल देने से दिल मिले, जागृत हो अपनत्व।।



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4 Comments

Gunjan Kamal

15-Nov-2022 05:59 PM

बहुत ही सुन्दर

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Asif

09-Nov-2022 07:03 PM

Lajwab shaandar jaandar rachna

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Muskan khan

09-Nov-2022 05:43 PM

OSm

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