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कुंडली (एक दोहा और एक रोला) होता वह धनवान है, जो करता सम्मान। सम्मानित सम्मान में, देखत है भगवान।। कहें मिश्र कविराय,सदा जो खुद को बोता। वही जगत में श्रेष्ठ,मनुज सब ...
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