कुंडली
डॉक्टर रामबली मिश्र की कुंडली
(एक दोहा और एक रोला)
मानस में वैकुण्ठ को, स्थापित करत महान।
पावन दिव्य विचार में, सदा विष्णु भगवान।
कहें मिश्र कविराय, बहें ईश्वर ही नस-नस।
हो सर्वोत्तम गेह, सकल जगती का मानस।
प्यारा भारतवर्ष ही ,बने विश्व सम्राट।
भारतीय संस्कृति महा, व्यापक दिव्य विराट।।
कहें मिश्र कविराय, यही आँखों का तारा।
भारतीय शिव रूप, लोक में सबसे प्यारा।।
सुंदर सत्य स्वरूप है, भारत -विश्व अनन्त।
इसकी माटी गंध से, बनते राघव सन्त।।
कहें मिश्र कविराय,बने वह जग का प्रियवर।
जिसजे मूल्य-विचार, परम पावन अति सुंदर।।
गावत मोहक गीत जो, सबके मन को जीत।
मधुर मनोहर बोल से, बनता सबका मीत।।
कहें मिश्र कविराय, जगत को वह मन भावत।
जो रखता है स्नेह, प्रेम की गीता गावत।।
पावत है फल चार वह, जिसके उत्तम कर्म।
पावन हितकर कर्म को, जो समझे शिव धर्म।।
कहें मिश्र कविराय, मनुज शुभ सुनत सुनावत।
रहता चारों धाम, वही ईश्वर रस पावत।।
अदिति झा
08-Feb-2023 12:08 AM
Nice 👌
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Rajeev kumar jha
31-Jan-2023 12:10 PM
Nice
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Sachin dev
30-Jan-2023 05:20 PM
Lajavab
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