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अर्चनामृतम




अर्चनामृतम


अ से अभयदान है अर्चन

र से रामभक्ति है अर्चन

च से देता चैन है अर्चन

 नम्र-विनम्र बनाता अर्चन।


यह अनित्य को सहज नकारत

रम्य भाव  को सदा सकारत

चेतनशील बनाता अर्चन।

नफरत द्वेषभाव से अर्चन।


प्रति क्षण खोजत दिव्य अमरता

रथ पर बैठी सत्य सहजता

सदा चमकता चम-चम अर्चन

नियम नियामक अति प्रिय अर्चन।


अक्षर ब्रह्म स्वयं है अर्चन

रणक्षेत्र सत्य का वन्दन

चलता रहता पूजन करता

नायक अर्चन नित्य चहकता।


अर्थपूर्ण अति भावुक प्रियवर

रंग सप्त इव चमक धनुष-सर

चेतन करता हर मानव को

अर्चन मारत मन-दानव को।


अमरवेलि जिमि व्यापक अर्चन

रथारूढ़ हो प्रभु अभिनंदन

चमत्कार करता रहता है

निंदनीय से बच चलता है।


अस्तिमान का सहज पुजारी

रामचन्द्र जिमि शिष्टाचारी

चुन-चुन-चुन कर सन्त बनाता

अर्चन सत्य समर्पण लाता।


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2 Comments

अदिति झा

08-Feb-2023 12:12 AM

Nice 👌

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Rajeev kumar jha

31-Jan-2023 12:07 PM

Nice 👍🏼

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