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नशा





नशा


नशा चढ़े जब प्रेम का, बोलो मीठे बोल।

सच्चाई की राह धर, इधर-उधर मत डोल।।


धीरे-धीरे चल सतत, देना केवल सीख।

शिष्य बनो प्रिय शिष्ट बन,अति मनमोहक दीख।।


सहज समर्पण भाव से, मिलता सच्चा प्यार।

अपनी कमियाँ खोज बस, करो प्यार को पार।।


छोटा बनकर ही मनुज, पा सकता है प्यार।

दंभी मानव का नहीं, होता है सत्कार।।


बनो नशेड़ी प्रेम का, रखना दिल को साफ।

प्रेमी मानव को सदा, सात खून है माफ।।


लिपट-लिपट कर प्रेम से, छू लो सारा लोक।

सदा प्रेम के पटल पर,लिखना मोहक श्लोक।।


सदा चूम कर पटल को, करते रह गुणगान।

प्रेम बहुत हीरक हृदय, कोमल मृदुल सुजान।।


प्रेम नशीला तत्व का, कीमत समझो मीत।

इसको खा कर नित्य लिख, सुंदर दिल के गीत।।


प्रेम पेय का आचमन, करना बारंबार।

सकल वदन को तब मिले, सहज प्रीति रसधार।।


प्रेम नशे में चूर हो, कर मोहक संवाद।

झूम-झूम कर नृत्य कर, करना मधुर निनाद।।


झुक-झुक कर मदहोश हो, लूट प्रेम भण्डार।

रुनझुन-रुनझुन दिव्य स्वर, से भरना सीत्कार।।






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3 Comments

अदिति झा

08-Feb-2023 12:13 AM

Nice 👌

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Rajeev kumar jha

31-Jan-2023 12:06 PM

Nice 👍🏼

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Sachin dev

30-Jan-2023 05:22 PM

Nice

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