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पूर्णिका





पूर्णिका


चलते रहो राम को ले कर।

पूरी अवधपुरी को दे कर।।


त्याग-तपस्या की शिक्षा ले।

चलना संग राम को ले कर।।


वनवासी बनना सर्वोत्तम।

मत करना अभिमान अवध पर।।


जो भी काँटे चुभे पाँव में।

आगे बढ़ना उन्हें फेंक कर।।


विपदाओं को आँख दिखाना।

उन्हें पछाड़ो सदा घेर कर।।


माया से मत विचलित होना।

असुर गिराओ कूद-कूद कर।।


तप से मिलतीं सकल सिद्धियाँ।

अर्जित करना शक्ति पूज कर।।


रावणहंता बन जाओगे।

लोकहितों का सदा ध्यान धर।।


आत्मतोष ही महामंत्र है।

पा जाओगे इसको जप कर।।


स्वार्थरहित अनमोल जिंदगी।

परमारथ के हेतु मिलन कर।।


कोई नहीं जगत में छोटा।

सब को गले लगाओ डट कर।।


वानर-भालू सभी मित्र हैं।

इन्हें सुनाओ गीत मचल कर।।


विजयगीतिका तुम गाओगे।

लिखते रहो पूर्णिका सट कर।।





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