चौपई
चौपई (मात्रा भार 15 )
रामचरण के प्रति अनुराग।
सुंदर भावों में ही जाग।।
रामचरित मानस का जाप।
सदा काटता सारे पाप।।
मात-पिता की आज्ञा मान।
उनको ईश्वर जैसा जान।।
नित्य करो उनका सम्मान।
यही एक सर्वोत्तम ज्ञान ।।
तुझको बनना है यदि राम।
करो दर्प का काम तमाम।।
त्याग कर्म में प्रति क्षण जाग।
देना केवल कुछ मत माँग।।
सत्य पथिक की पकड़ो राह।
रख उत्तम बनने की चाह।।
लेना नहीं किसी की आह।
सबसे करना प्रेम अथाह।
अमृत घट बनना स्वीकार।
मानवता को सदा पुकार।।
दानव को करना इंकार।
साधु-संत का रच संसार।।
मातम भागे आतम जाग।
कभी न बनना काला नाग।।
रसना पर अमृत का घोल।
मुख से निकले सुंदर बोल।।
अदिति झा
08-Feb-2023 12:08 AM
Nice 👍🏼
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Rajeev kumar jha
31-Jan-2023 12:10 PM
Nice
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Sachin dev
30-Jan-2023 05:20 PM
Shandar
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