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साहस




साहस  (आल्हा शैली )

       मात्रा भार 16/15


साहस में होती ऊर्जा है,

     साहस करता बहुत कमाल।

मस्तक को ऊँचा रखता है,

     साहस से डरता है काल।

साहस बनता जीवन रक्षक,

     साहस खुद है जीवन-पाल।

साहस बिन जीवन दूभर है,

     साहस देता विपदा टाल ।

साहस को हनुमान समझना,

     लंका दाहक इसकी चाल।

जिस मानव में साहस होता,

     वह बनता सबका रखवाल।

जीवन की यह स्वर्ण-संपदा,

     सदा चमकता इसका भाल।

साहस ही संरक्षक बनकर,

     रखता यह निर्बल का ख्याल।

साहस में ही वीर छिपा है,

     यही चूमता नभ-पाताल।

साहस से जब करुणा मिलती,

     दिख होता है मालामाल।

साहस चलता तीव्र वेग से,

    कायर हो जाता बेहाल।

मत पूछो साहस क्या होता?

     यही फोड़ता पतित-कपाल।

पावन साहस के आगे जग,

     झुक जाता निश्चित तत्काल ।

जिसमें साहस भरा हुआ है,

     वही सिंधु शेष नद-ताल।

साहस में गंभीर भाव है,

     अन्य बजाते केवल गाल।

साहस से जंगल में मंगल,

     जब यह देता डेरा डाल।


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5 Comments

अदिति झा

03-Feb-2023 11:32 AM

Nice

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Gunjan Kamal

02-Feb-2023 11:24 AM

बहुत खूब

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बेहतरीन

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