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स्वर्णमुखी




स्वर्णमुखी


जो गुरु कोअपमानित करता।

आत्म पतन की राह खोजता।

सदा बहिष्कृत बनकर जीता।

वही नरक अनुगामी बनता।


गुरु के प्रति सम्मान भाव रख।

कदम-कदम पर कर गुरु पूजा।

गुरु ही महादेव नहिं दूजा।

ज्ञानामृत फल आजीवन चख।


गुरु ही सच्चा दिग्दर्शक हैं।

गुरु को खोजो घूम-घूमकर।

जग का कण-कण चूम-चूमकर।

गुरु जीवन के निर्देशक हैं।


सच्चे गुरु की नित तलाश कर।

मिल जायें तो जन्म सफल कर।।





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1 Comments

Renu

22-Mar-2023 08:34 PM

👍👍💐

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