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अच्छाई





अच्छाई          (चौपाई)


अच्छाई का मौज अलग है।

गन्दा मानव अलग-थलग है।।

अच्छे कर्मों में सच्चाई।

बुरे कर्म में सदा बुराई।।


गन्दा मानव सदा बेईज्जत।

पाता कब समाज में इज्जत?

दुत्कारा जाता है लतिहर।

अनायास बनता है सुंदर।।


अच्छाई का अर्थ यही है।

सच्चा मानव सदा सही है।।

स्थिर बनकर चलता रहता।

नहीं फालतू बातें करता।।


जो भी कहता उसको करता।

सच्चाई का साक्षी बनता।।

नहिं कपट से कोई नाता।

प्रिय महान मोहक कहलाता।।


जिसने सीखा अच्छा बनना।

सच्ची मीठी बातें कहना।।

दुनिया में वह वंदनीय है।

महा पुरुष सा अतुलनीय है।।





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2 Comments

Varsha_Upadhyay

17-Dec-2022 12:18 PM

शानदार

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Mahendra Bhatt

16-Dec-2022 05:03 PM

बहुत ही सुन्दर

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