लाइब्रेरी में जोड़ें

संगम




संगम        (चौपाई)


सकल विश्व का इक संगम हो।

एकत्रित सारे जंगम हों।।

एक गूँज हर हर गङ्गम हो।

आध्यात्मिक सारा अंगम हो।।


मानवता का मंच सजाओ।

हर हर महा देव को गाओ।।

कूद-कूद कर गंग नहाओ।

भाग्य रेख को अमर बनाओ।।


देखो घाटों को काशी के।

दर्शन कर शिव अविनाशी के।।

जाओ देखो संकट मोचन।

भूत उतारो पिशाच मोचन।।



भैरव काल काल भैरव हैं।

काशी जी के महान रंब हैं।।

इन्हें पुकारो माँगो मिन्नत।

पा जाओगे असली जन्नत।।


राजघाट का सेतु देखिये।

नीचे गंगा रेत देखिये।।

गंगा जी में स्नान करोगें।

भव सागर से तर जाओगे।।


गोदी में रह विश्वनाथ के।

वह इक स्वामी हैं अनाथ के।।

भोले भण्डारी कहलाते।

सब को अन्न-वस्त्र दिलवाते।।


यहीं अन्नपूर्णा का आलय।

सकल विश्व का प्रिय देवालय।।

नहीं कमी है कुछ काशी में।

सब कुछ अंतःपुरवासी में।।


काशी बाबा धाम चाहिये।

शिवशंकर का ग्राम चाहिये।।

जग-संगम पर स्नान चाहिये।

दिव्य सहज शिव ज्ञान चाहिये।।




   7
0 Comments